हमें इस अकाल पीड़ित गाँव के 700 किसानों को लाभ पहुँचाने के लिए 15 दिनों के भीतर 8 किलोमीटर लंबी नहर बनाने में आपकी सहायता चाहिए
विदर्भ क्षेत्र के किसान बेहद विकट अकाल से जूझ रहे हैं। जल्दी ही बारिश आने वाली है पर यदि बारिश से बेकार जाने वाले पानी को बचाने का कोई तरीका नहीं मिला तो किसानों को आज की जैसी स्थिति से फिर से जूझना पड़ सकता है!
तो हम क्या कर सकते हैं?
कारवाई की योजना:
सूर्योदय परिवार ने छोटी नहरें बनाने की योजना बनाई है, जो इस अकाल से पीड़ित गाँव के लिए जलाशय का काम करेंगी। इससे मॉनसून में मिलने वाले बारिश के पानी को संचित कर लाभ उठाया जा सकेगा। हम कुछ खास गावों को लक्षित कर रहे हैं ताकि उन गावों के किसानों के पास बारिश बंद होने के कई दिनों बाद भी पानी बना रहे। इसे सच बनाने के लिए हमें आपके धन सहयोग की आवश्यकता है। पहला प्रोजेक्ट महाराष्ट्र के उस्मानाबाद ज़िले के एक छोटे से गाँव HORTI(होरती) से शुरू होगा!
(नीचे मानचित्र देखें)
प्रोजेक्ट/परियोजना का विवरण:
गाँव का नाम – Horti(होरती), ज़िला उस्मानाबाद
बनाई जाने वाली नहर की लंबाई- 8 किलोमीटर
निर्माण में लगने वाला समय- 300 घंटे
किसान जिन्हें लाभ होगा - 700
व्यक्ति जिन्हें लाभ प्राप्त होगा – 3200
परियोजना की लागत- मात्र 3 लाख।
नहर के परिमाण:
ये नहरें लगभग 15 फीट गहरी और 60 फीट चौड़ी होंगी व इनमें पानी इस प्रकार जमा होगा कि वे किसान जिनके खेत इसके दोनों किनारों पर होंगे, वे इससे पानी ले सकेंगे। इसकी लागत प्रति किसान लगभग 500 भारतीय रुपए होगी।
सोचिए, आपके 500 भारतीय रुपयों मात्र से एक किसान व उसके परिवार को लाभ मिलेगा!
इसके अलावा नहर बनाने के लिए खोदी गई मिट्टी खेतों को उपजाऊ बनाएगी व इससे उपज बढ़ जाएगी।
प्राथमिक उद्देश्य:
हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है। भारत कि लगभग 50% आबादी कृषि क्षेत्र में नियोजित है और इनमें से हर कोई अप्रत्यक्ष रूप से एक दूसरे से जुड़ा है। भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 16.1% कृषि क्षेत्र से उत्पन्न होता है। देश के अधिकतर भागों में कृषि के लिए पर्याप्त पानी नहीं है। इससे किसान समुदाय पर सीधा प्रभाव पड़ रहा है। पिछले कुछ दशकों में कम बारिश की वजह से भूमि का जल स्तर बेहद तेज़ी से कम हुआ है और कुएं व जल प्रपात सूख गए हैं। नवीन जीवन शैली से होने वाला पर्यावरणीय असंतुलन असमय व कम बारिश का प्राथमिक कारण है। धरती पर सभी रूपों में मौजूद जीवन के लिए पानी ही जीवन- रेखा है, पानी का संरक्षण न केवल आवश्यक है बल्कि समय की बेहद आवश्यक ज़रूरत बन गया है। सद्गुरु श्री बय्युजी महाराज के नेतृत्व में चलने वाले सूर्योदय जैसे संगठनों के कारण, बारिश के पानी का संचय, तालाबों का निर्माण व उन्हें गहरा करना व नहरों का निर्माण जैसे कार्यों द्वारा जल संरक्षण करने के लिए प्रयत्न किए जा रहे हैं।
हमारा मिशन:
सूर्योदय प्राकृतिक जल निकायों की सुरक्षा व उनके प्रसार के लिए प्रतिबद्ध है। इसके अलावा महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के गावों में नहर निर्माण व उनको गहरा करने से जल स्तर में वृद्धि हुई है। विभिन्न जागरूकता शिविरों द्वारा पानी को बचाने व संरक्षण की महत्ता पर ज़ोर देने के प्रयास किए जा रहे हैं और यह भी बताया जा रहा है कि ऐसा करना किस प्रकार पूरे समाज व पर्यावरण के लिए अच्छा रहेगा।
उपलब्धियां:
इस योजना के तहत औरंगाबाद व उस्मानाबाद जिलों में कई तालाबों व नहरों का निर्माण किया गया है। सूर्योदय ने पुराने शिवकालीन तालाबों को सफलतापूर्वक गहरा किया है। इसके अलावा, तालाबों को गहरा करने व नहरों के निर्माण करने से निकली उपजाऊ मिट्टी को किसानों के बीच वितरित किया गया जिससे उन्हें उपज बढ़ाने व उत्पादन में मदद मिल सके।
नीचे दी गई तस्वीर उस्मानाबाद ज़िले के मुरता गाँव की एक सफल नहर परियोजना की है।
Risks and challenges
सूर्योदय परिवार रात-दिन काम करके इन पहलों को सफल बनाने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, लोगों को अपनी जीवन-शैली व विचार-धारा में बदलाव लाने की ज़रूरत है – खास तौर पर प्राकृतिक संसाधनों के प्रति हमारे रवैये में। सबसे बड़ी चुनौती सामाजिक सोच व विश्वास में बदलाव लाने की है।