पृष्ठभूमि:
मराठवाड़ा और विदर्भ क्षेत्र के किसान भयंकर सूखे के कारण भयभीत हैं । उनके पास खेती के लिए पर्याप्त पानी नहीं है। कई स्थानों पर केवल उनके लिए पर्याप्त पानी है।
लेकिन गाय, भैंस, बैल आदि पशुओं का क्या? वे दूध देते हैं, किसानों को खेत जोतने में मदद करते हैं और वे किसानों के लिए आय और उपजीविका के स्रोत हैं।
लेकिन किसान अपने पशुओं के लिए पानी कहाँ से लाएँ?
हमें इस बारे में अवश्य कुछ करना चाहिए!
कार्य योजना:
सूर्योदय परिवार अपने 'जीव दया अभियान' के माध्यम से पहले ही इन पशुओं के लिए पानी के जल कुंड बनाना शुरू कर दिया है। यह टब के आकार के बड़े पात्र या जल कुण्ड हैं, जिनमें पानी भरा जा सकता है। हम इन पात्रों को गावों के आस-पास विशिष्ट स्थानों पर रखते हैं और हर रोज़ पशुओं के लिए पानी की आपूर्ति करते हैं। इससे किसान आश्वस्त होता है, क्योंकि मवेशी उनके परिवार के लिए जीवन-रेखा के समान हैं।
आश्चर्य नहीं की वे कहते हैं “गाय हमारी माता है”। इसको हकीकत बनाने के लिए हमें आपसे निधि की आवश्यकता है। हम जिला उस्मानाबाद तालुका तुलजापुर के सूखाग्रस्त गांवों में पानी के ऐसे “15” जल कुंड बनाने की योजना बना रहे हैं।
परियोजना का विवरण:
परियोजना का नाम - जीव दया अभियान
गाँव/गाँवों के नाम – लातूर और उस्मानाबाद जिले में
पशुओं के लिए पानी के कुंड की संख्या – 15
जल स्थान का खर्च – 1500 INR प्रति टब
पानी का खर्च – 100 INR प्रति दिन – 3000 INR प्रति माह
एक जल स्थान का कुल खर्च – 4500 INR (एक महीने के लिए)
पशुओं की संख्या, जो इनका हर रोज़ उपयोग करेंगे – 1000 (प्रत्येक जल स्थान पर 50)
नोट: टब को दिन में तीन बार भरा जाएगा।
परियोजना की लागत– 67,000 INR
लोगों से प्राप्त होने वाली राशि का लक्ष्य = 72,000INR (ताकि हमें नेट ऑफ फीस 67,500INR मिलेगी)
दूर के लक्ष्य: यदि लोगों से हमें अधिक राशि मिलती हैं, तो हम और टब लाएँगे और पशुओं के लिए और अधिक जल स्थान बनाएँगे।
पानी के टब की लंबाई-चौड़ाई:
यह टब लगभग 6 फीट लंबे, 2.5 फीट गहरे और 2.5 फीट चौड़े हैं और कंक्रीट के बने हुए हैं। प्रत्येक टब की लागत लगभग 1500 INR है, जिसमें टब को यहाँ तक लाने का खर्च भी शामिल है। प्रत्येक भरा हुआ टब करीब 50 पशुओं की प्यास बुझा सकता है। इन टबों को दिन में तीन बार भरा जाता है!
पानी को टैंकरों में लाया जाता है और नज़दीकी बोर-वेल में भरा जाता है, जहां से टब में भर दिया जाता है।